
कैराना में “योजना के पैसे कहां गए?” – जब आदेश भी बने कागज़ों तक सीमित
कैराना, शामली: सरकारी अस्पताल के सामने जलभराव, गंदगी और कीचड़ का भंवर स्थानीय लोगों की समरस्ता को चुनौती दे रहा है। मरीजों को अस्पताल तक आना मुश्किल हो गया है, बच्चों का स्कूल का रास्ता बंद हो गया है, और यह सब कोविड की तरह तबाही मचा रहा है।
🚨 4 सवाल – सत्ता और प्रशासन से:
1. **योजना तो मिली, पर पैसे कहां गए?**
प्रधानमंत्री आवास योजना, जल जीवन मिशन और स्मार्ट सड़क जैसी बड़ी योजनाएँ राज्य सरकार की घोषणा के साथ शुरू हुईं। लेकिन ये योजनाएं कागज़ों तक ही सीमित रह गईं—स्थानीय लोगों को विकास की झलक तक नहीं दिखी।
2. मुखिया शमशाद अंसारी की जवाबदेही:**
जनता कह रही है – “चेयरमैन बदल गया, पर हालात पहले से भी बदतर हैं।” सफाई नहीं, सड़कें नहीं। विकास सिर्फ रिपोर्ट में नजर आता है, जमीन पर कुछ नहीं हुआ।
3. पूर्व मुखिया हाजी अनवर हसन के दिनों की तुलना:**
लोग बताते हैं कि “उनके कार्यकाल में अस्पताल के सामने सड़कें बनी थीं, सफाई होती थी।” लेकिन तेज बारिश या शासन के आदेशों के बावजूद, आज हालात बेहाल हैं।
4. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश का क्या असर हुआ?**
मुख्यमंत्री ने हाल ही में रोड-ड्रेनज योजनाओं (Urban Flood & Storm Water Drainage Scheme – ₹1,000 करोड़) और स्मार्ट सड़कों पर ठोस दिशा निर्देश दिए ।
लेकिन क्या इस आदेश का असर कैराना तक पहुँचा? यहां तो अस्पताल के सामने गंदगी से हालात बदतर हैं।
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🧐 एसडीएम का निरीक्षण: आदेश तो, काम नहीं!
शामली की एसडीएम निधि भारद्वाज ने हाल ही में कैराना का निरीक्षण कर उस जलभराव को देखा जिसमें लोगों को तैरते हुए निकलना पड़ा ।
उन्होंने अधिकारियों को नालों की सफाई, अतिक्रमण हटाने और जल निकासी की व्यवस्था पर जोर देकर सख्त निर्देश दिए।
मगर जगह-जगह जलभराव और कीचड़ अभी भी ठहरा हुआ है—यह स्पष्ट दिखाता है कि “आदेशों से काम नहीं चलता, जवाबदेही चलती है।”
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🧭 अब क्या हो – अपेक्षाएँ और कदम:
प्रत्याशा विवरण
तुरंत कार्यवाही एसडीएम-बीएसएम के निर्देशों का तत्काल पालन—नालों की सफाई, कचरा साइटों की सफाई, सड़क मरम्मत
जवाबदेही तय हो चेयरमैन शमशाद अंसारी, नगर पालिका अधिकारी और संबंधित विभागों को स्थिति की रिपोर्ट सौंपना
सरकार का विशेष संज्ञान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जल निकासी और सड़क न्याय से सम्बंधित निर्देशों का ब्योरा माँगा जाए
शिकायत दर्ज हो अगर साफ़-सफ़ाई में लापरवाही बनी रहती है, तो FIR दर्ज कर हर स्तर पर कार्रवाई हो
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🏁 निष्कर्ष:
कैराना एक लोकल केस नहीं—यह यूपी शासन और प्राथमिक स्तर पर जवाबदेही की परीक्षा है।
जब बड़े-बड़े योजनाओं के पैसे राज्य सरकार से तय हो, फिर सवाल है कि “विकास लाया कौन, और पैसा कितना पहुँचा?”
अब जनता चाहेगी: योजनाओं की रिपोर्ट नहीं, मैदान पर काम। आदेशों की परवाह नहीं, परिणाम चाहिए।