“जहाँ दुआ और दवा का संगम हुआ — वहाँ शिफ़ा खुद चलकर आई!”
आज गुजरपुर जनपद शामली की ज़मीन एक ऐसी रूहानी महफ़िल की गवाह बनी, जहाँ इंसानियत, ईमान और इलाज — तीनों एक साथ नज़र आए।
यह मुफ़्त यूनानी मेडिकल कैंप ऑल इंडिया यूनानी तिब्बी कांग्रेस के तत्वावधान में लगाया गया, जिसकी पहल डॉ. सैयद अहमद खान (डिप्टी इंचार्ज, सफदरजंग हॉस्पिटल, नई दिल्ली) ने की। उनके आदेश पर इस नेक कार्य को अंजाम दिया गया, जिसने सैकड़ों बीमार, परेशान और मायूस लोगों को राहत दी।
🌙 अब्दुल गफ़्फ़ार बाबा — जिनके हाथों में है दुआओं की ताक़त!
कैंप का सबसे बड़ा आकर्षण रहे अब्दुल गफ्फार बाबा जी, जिन्हें लोग प्यार से “शिफ़ा वाले बाबा” के नाम से जानते हैं।
कहा जाता है कि बाबा जी के हाथों में ऐसी रूहानी ताक़त है कि जिस घर में जादू-टोना, नज़र-बद या परेशानियाँ होती हैं, वहाँ उनकी दुआ और दम से अमन लौट आता है।
आज भी सैकड़ों लोग बाबा जी के सामने अपनी तकलीफ़ें लेकर पहुँचे — किसी की घर की बरकत रुकी थी, किसी के बच्चों पर नज़र लगी थी, तो कोई सालों से इलाज करवाकर थक चुका था — और बाबा जी की रूहानी नज़र और दुआ से सबकी आँखों में फिर उम्मीद की चमक लौट आई।
लोगों ने कहा —
“बाबा जी के हाथ उठते हैं तो दुआ कबूल हो जाती है।”
💊 डॉ. सैयद यासिर साहब — दवा के साथ दुआ का एहसास!
इस मौके पर डॉ. सैयद यासिर साहब ने अपने इल्मी और तिब्बी तजुर्बे से मरीजों का इलाज किया।
उन्होंने महंगी दवाइयों की जगह सस्ती यूनानी दवाएं दीं, ताकि कोई गरीब इलाज से वंचित न रह जाए।
डॉ. यासिर ने कहा —
“इलाज सिर्फ शरीर का नहीं, दिल और नीयत का भी होना चाहिए।”
उनकी सादगी और सेवा भाव ने हर मरीज के दिल में एक नई रोशनी जगा दी।
🤝 शुक्रिया — डॉ. सैयद अहमद खान साहब का
कैंप के अंत में सभी डॉक्टरों और मेहमानों ने डॉ. सैयद अहमद खान का शुक्रिया अदा किया, जिन्होंने दिल्ली से इस मुहिम को हरी झंडी दी।
उनके मार्गदर्शन में ही आज शामली की ज़मीन पर इलाज और इंसानियत का संगम देखने को मिला।
🌺 कैंप में शामिल रहे:
डॉ. वकील, काय्यूम प्रधान, इसरार प्रधान, सनाउल्लाह अंसारी, डॉ. सैयद यासिर, डॉ. सैयद अहमद खान, अब्दुल गफ्फार बाबा जी सहित अनेक समाजसेवी और चिकित्सक।
✨ NDUP रिपोर्टर की कलम से:
“आज कवाजपुरा की फ़िज़ा में सिर्फ हवा नहीं, दुआ और दवा की खुशबू घुली थी…
जहाँ अब्दुल गफ्फार बाबा के हाथ उठे — वहाँ हर तकलीफ़ झुक गई,
और जहाँ डॉ. यासिर ने मुस्कुराकर दवा दी — वहाँ शिफ़ा खुद बोल उठी!”