
गुर्जर समाज की हुंकार: धर्म सिंह छोकर के समर्थन में पंचायत का ऐलान, सरकार को चेतावनी
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समाचार रिपोर्ट:
समालखा।
पूर्व समालखा विधायक धर्म सिंह छोकर के साथ ईडी अधिकारियों द्वारा किए गए दुर्व्यवहार के विरोध में गुर्जर समाज के जिम्मेदार नेताओं व गणमान्य लोगों की एक महत्वपूर्ण बैठक समालखा के उत्सव गार्डन में सम्पन्न हुई। बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि इस अन्याय के खिलाफ एक विशाल सर्वजातीय सामाजिक पंचायत का आयोजन किया जाएगा।
बैठक में समाज के वरिष्ठ नेताओं ने एक स्वर में कहा कि “धर्म सिंह छोकर न केवल समालखा के लोकप्रिय जनप्रतिनिधि रहे हैं, बल्कि उन्होंने अपने कार्यकाल में हर वर्ग के उत्थान के लिए संघर्ष किया है। शिक्षा, स्वास्थ्य और युवाओं के रोज़गार के लिए उनकी सेवाएं अविस्मरणीय हैं। ऐसे जनसेवक के साथ अभद्र व्यवहार समाज के स्वाभिमान पर आघात है।”
बैठक में शामिल मुख्य जिम्मेदार पदाधिकारी व गणमान्य व्यक्ति इस प्रकार रहे:
1. अनंत राम तंवर – राष्ट्रीय अध्यक्ष आल गुर्जर कमेटी उ.प्रा.
2. अरजुन सिंह गुर्जर – पूर्व विधायक जगाधरी, उपाध्यक्ष राष्ट्रीय गुर्जर महासभा
3. सोनू गुर्जर निरालामुट – राष्ट्रीय अध्यक्ष गुर्जर वीट सेना
4. रविंद्र सिंह गुर्जर – राष्ट्रीय गुर्जर महासभा
5. संतोष रावल – प्रधान महिला विंग गुर्जर समाज
6. शुभम अग्रवाल – पूर्व जिला पंचायत प्रत्याशी
7. अर्पित मुझाखा
8. अखिल धानसा
9. शाम कुमार धानसा
10. पवन शामली सरपंच
11. सरपंच परगट चंद्रावत
बैठक में मौजूद सभी वक्ताओं ने साफ कहा कि
“पिछले कुछ वर्षों से सरकार व प्रशासन द्वारा गुर्जर समाज की लगातार अनदेखी की जा रही है। चाहे वह पूर्व विधायक धर्म सिंह छोकर का मामला हो, नंदकिशोर गुर्जर का राजनीतिक उत्पीड़न हो या फिर कंवर सिंह चैंपियन के साथ किया गया व्यवहार — यह सब समाज को दबाने की कोशिशें हैं। लेकिन गुर्जर समाज कभी अन्याय के सामने झुकने वाला नहीं है।”
हालांकि मौके की नजाकत को देखते हुए — वर्तमान भारत-पाकिस्तान सीमा पर तनाव और युद्ध जैसे हालात को मद्देनज़र रखते हुए — समाज ने अपनी जिम्मेदारी का परिचय देते हुए सर्वजातीय पंचायत को कुछ दिन के लिए स्थगित करने का निर्णय लिया है, ताकि सरकार को इस मुद्दे पर शांतिपूर्वक विचार करने का समय मिल सके।
नेताओं ने स्पष्ट किया कि यदि सरकार ने शीघ्र कार्रवाई नहीं की, तो स्थगित पंचायत को पुनः बुलाया जाएगा।
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गुर्जर समाज: इतिहास की गौरवगाथा
गुर्जर समाज का इतिहास साहस, बलिदान और राष्ट्ररक्षा की मिसाल रहा है।
प्राचीन भारत में गुर्जर प्रतिहार वंश ने अरब आक्रमणों को रोका और भारतीय संस्कृति की रक्षा की।
सम्राट मिहिर भोज प्रतिहार का नाम आज भी स्वर्ण अक्षरों में अंकित है।
1857 के स्वतंत्रता संग्राम में कोतवाल धन सिंह गुर्जर ने अंग्रेजों के खिलाफ मोर्चा खोला और बलिदान दिया।
आज का जागरूक गुर्जर समाज भी अपने पूर्वजों के स्वाभिमान व वीरता की राह पर अडिग है।
नेताओं ने स्पष्ट किया — “हम न तो कभी झुके हैं, न झुकेंगे। सरकार को गुर्जर समाज की शक्ति व एकता का सम्मान करना होगा।”
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निष्कर्ष:
समालखा की बैठक में समाज के जिम्मेदारों ने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया है कि गुर्जर समाज अन्याय के खिलाफ एकजुट है और सम्मान से समझौता नहीं करेगा।
फिलहाल परिस्थितियों की गंभीरता को देखते हुए शांति व धैर्य के साथ अगली रणनीति बनाई जाएगी।