
“पीलीभीत में पत्रकार दंपति का आत्महत्या प्रयास: भ्रष्टाचार उजागर करने पर उत्पीड़न का आरोप”
उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले में पत्रकार दंपति इसरार और मिराज द्वारा आत्महत्या का प्रयास एक गंभीर और चिंताजनक घटना है, जो प्रदेश में पत्रकारों की सुरक्षा और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सवाल उठाती है। इस मामले में उन्होंने बीसलपुर के एसडीएम नागेंद्र पांडे, बरखेड़ा नगर पंचायत चेयरमैन श्याम बिहारी भोजवाल और ठेकेदार मोईन पर उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं। यह घटना प्रदेश में पत्रकारों के खिलाफ हो रहे उत्पीड़न की एक कड़ी है, जिसमें पत्रकारों को भ्रष्टाचार उजागर करने पर प्रताड़ित किया जा रहा है।
पत्रकारों के खिलाफ उत्पीड़न की घटनाएं
हमीरपुर जिले में पत्रकारों अमित द्विवेदी और शैलेन्द्र मिश्रा को नगर पंचायत के चेयरमैन पवन अनुरागी और उसके साथियों द्वारा बंधक बनाकर निर्वस्त्र कर मारपीट की गई और पेशाब पिलाने जैसी अमानवीय हरकतें की गईं। इस घटना के बाद पत्रकारों ने अनशन किया, जिसके बाद जिलाधिकारी ने कार्रवाई का आश्वासन दिया।
इसी प्रकार, हमीरपुर के मुस्करा ब्लॉक में पत्रकार रवींद्र कुमार भारतवंशी को ग्राम प्रधान और उसके परिजनों द्वारा अपहरण कर घंटों पिटाई की गई और अमानवीय यातनाएं दी गईं।
सरकार से अपेक्षित कार्रवाई
इन घटनाओं को देखते हुए, उत्तर प्रदेश सरकार से निम्नलिखित अपेक्षाएं की जाती हैं:
1. तत्काल न्यायिक जांच: पीलीभीत मामले में उच्च स्तरीय न्यायिक जांच कराई जाए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
2. पत्रकार सुरक्षा कानून: पत्रकारों की सुरक्षा के लिए विशेष कानून बनाया जाए, जिससे उन्हें स्वतंत्र रूप से कार्य करने की सुविधा मिले।
3. फास्ट ट्रैक कोर्ट: पत्रकारों के खिलाफ उत्पीड़न के मामलों की सुनवाई के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट की स्थापना की जाए।
4. पुलिस प्रशिक्षण: पुलिस अधिकारियों को पत्रकारों के साथ संवेदनशील व्यवहार के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया जाए।
5. जन जागरूकता अभियान: पत्रकारों की भूमिका और उनके अधिकारों के प्रति जनता को जागरूक करने के लिए अभियान चलाया जाए।
उत्तर प्रदेश सरकार से अनुरोध है कि वह इन मामलों को गंभीरता से लेते हुए आवश्यक कदम उठाए, ताकि पत्रकारों को सुरक्षित और स्वतंत्र वातावरण में का
र्य करने का अवसर मिल सके।