कैराना हत्याकांड: मंत्री सुरेश राणा ने घटनास्थल पर पहुंचकर निभाया जननेता का धर्म, जनता को मिला न्याय का भरोसा
कैराना, शामली।
उत्तर प्रदेश के कैराना के मामौर गांव में घटित दोहरी हत्या की दिल दहलाने वाली घटना ने पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश को हिला दिया है। हरियाणा से आए किसान देवेंद्र देशवाल और उनके चचेरे भाई की हत्या ने न सिर्फ क्षेत्र में सनसनी फैलाई, बल्कि लोगों के दिलों में ग़ुस्सा और असुरक्षा की भावना भर दी।
लेकिन जब जनता को लग रहा था कि उनकी आवाज़ सुनी नहीं जाएगी, तभी पूर्व कैबिनेट मंत्री माननीय सुरेश राणा जी घटनास्थल पर पहुंचे और पीड़ित परिवार को गले लगाकर दिलासा दिया।
🙏 जनता के बीच उम्मीद की लौ: सुरेश राणा
जब शासन-प्रशासन की चुप्पी थी, तब सुरेश राणा जी ने आगे बढ़कर वह भूमिका निभाई जो एक सच्चे जननेता की होती है। उन्होंने न केवल पीड़ितों के घर जाकर संवेदना व्यक्त की, बल्कि मौके से ही अफसरों को सख्त कार्रवाई के निर्देश भी दिए।
उनका बयान:
“किसान के खून से हाथ रंगने वालों को बख्शा नहीं जाएगा, चाहे वे कितने भी ताक़तवर क्यों न हों। अगर ज़मीन के ऊपर नहीं मिले तो कब्र से निकालकर भी कानून अपना काम करेगा।”
📌 देवेंद्र हत्या कांड: क्या है मामला
- देवेंद्र देशवाल, हरियाणा के निवासी, मामौर गांव में खेत की ओर जा रहे थे, तभी उन पर हमला हुआ।
- हमले के दौरान गोली मारकर हत्या कर दी गई और घटना में उनका चचेरा भाई भी सदमे से चल बसा।
- इस घटना ने पूरे क्षेत्र में रोष फैला दिया है, और रासुका (NSA) लगाने की मांग उठने लगी है।
- पहले ही दो आरोपी नदीम और सोबान को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है।
🧓 जनता की ओर से सुरेश राणा को धन्यवाद
- ग्रामीणों ने कहा:
“जब कोई नहीं आया, तब सुरेश राणा हमारे साथ खड़े थे। वे सिर्फ नेता नहीं, हमारे दर्द में भागीदार हैं।”
- कई पूर्व प्रधान, सरपंच और पंचायत प्रतिनिधि भी मौके पर मौजूद रहे।
✅ राणा जी की मांग:
| मांग | विवरण |
|---|---|
| दोषियों पर रासुका | सख्त से सख्त सज़ा |
| पीड़ित परिवार को मुआवजा | सरकारी सहायता शीघ्र दी जाए |
| पुलिस कार्यवाही पारदर्शी हो | किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं |
🔚 निष्कर्ष:
इस गंभीर हत्याकांड में सुरेश राणा जी की त्वरित प्रतिक्रिया, जनता के बीच मौजूदगी और निष्पक्ष न्याय की आवाज़ ने एक बार फिर साबित कर दिया कि वह जनता के सच्चे नेता हैं। राजनीति के शोर से दूर, वह उन गलियों में पहुँचे जहाँ सिर्फ आँसू थे।
रिपोर्ट: शहजाद बद्री, NDUP