खुला अभियान-शानख़ोर: गोगवान-शामली में लाखों की स्मैक की खुलेआम बिक्री — ग्रामीणों के कड़े आरोप और प्रशासन पर सवाल
शामली, गोगवान (रिपोर्ट) — गाँववासियों और स्थानीय नेताओं का कहना है कि गोगवान में रोज़ाना लाखों रुपये की स्मैक (देशी/आयातित नशा) खुलेआम बिक रही है, और शिकायतों के बावजूद मामले पर प्रभावी कार्रवाई नहीं हो रही। ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाए हैं कि कुछ तस्कर राजनीतिक संरक्षण में काम कर रहे हैं और पुलिस की अंदरूनी नाकामी की वजह से शिकायतकर्ता असुरक्षित महसूस करते हैं। �
The Times of India +1
ग्रामीणों के प्रमुख आरोप (सीधा-सीधा)
रोज़ाना लाखों का कारोबार: ग्रामीणों का कहना है कि एक-दो नहीं बल्कि रोज़ाना चार-पाँच लाख रुपये तक की खेप गाँव के कुछ हिस्सों में बिक रही है।
शिकायत करने वालों पर जानलेवा हमले: जिन्होंने तस्करी के खिलाफ आवाज़ उठाई, उनके ऊपर हत्या के प्रयास और जानलेवा हमले हुए — जिससे लोग शिकायत करने से डरते हैं।
राजनीतिक संरक्षण का नाम — ‘समाजवादी पार्टी’: कई ग्रामीणों और स्थानीय नेताओं ने आरोप लगाया है कि कुछ तस्करों को समाजवादी पार्टी का संरक्षण मिला हुआ है; वे मांग कर रहे हैं कि इस कड़ियों की पड़ताल उच्चस्तरीय जाँच से हो। (यह गाँववालों का आरोप है और रिपोर्ट में उसी रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है)।
हलक़ा दरोगा और थाने के अंदरूनी कनेक्शन: स्थानीय स्तर पर हल्का दरोगा पर भी सुस्ती का आरोप है — ग्रामीण कहते हैं कि हल्का दरोगा शिकायतों का सही ट्रैक नहीं रख रहा और कभी-कभी शिकायतकर्ताओं की जानकारी तस्करों तक पहुँच जाती है।
ग्रामीणों का कहना है कि ये आरोप स्थानीय स्तर की बातचीत और कई बार इन शिकायतों का नतीजा है — अभी तक किसी स्वतंत्र जांच/न्यायिक आदेश के जरिए इन आरोपों की सार्वजनिक पुष्ट रिपोर्ट नहीं आई है।
लोग क्या मांग रहे हैं (तीव्र कदम)
कई ग्रामीण मांग कर रहे हैं कि जिन घरों/मकानों से तस्करी हो रही है, उन पर बुलडोज़र कार्रवाई भी हो और अवैध आय की संपत्तियों पर कुर्की हो — वे कहते हैं कि बिना संपत्ति पर असर डाले कोई बड़ा सन्देश नहीं जाएगा। (यह मांग भी ग्रामीणों की ओर से उठी है)।
उन्होंने उच्चस्तरीय SIT/जस्टिस-मंडल की स्थापना, त्वरित FIR और शिकायतकर्ताओं की सुरक्षा की मांग भी की है।
प्रशासनिक पृष्ठभूमि — कार्रवाई दिखती है, फिर भी शिकायतें हैं
राज्य और रेंज-स्तर पर ड्रग्स के खिलाफ अपरेशन और छापेमारी की खबरें हाल के महीनों में आई हैं — जैसे Saharanpur रेंज में ‘Operation Savera’ जैसी मुहिम और कुछ बड़ी तस्करी के मामलों में ज़ब्तियाँ रिपोर्ट हुई हैं। फिर भी गोगवान के ग्रामीण पूछते हैं: DIG (Saharanpur) सख्त हैं — पर फिर भी इन बिकने वालों पर क्यों कार्रवाई नहीं हो रही? स्थानीय लोगों का कहना है कि कार्रवाई नहीं होने का कारण राजनीतिक संरक्षण और थाने-स्तर पर मिलीभगत हो सकता है। �
The Times of India +1
संभावित निहितार्थ और आगे का रास्ता
ऐसा न हुआ तो ग्रामीण बड़े पैमाने पर विरोध और राज्य-स्तर के माध्यमों से मामले को उठाने को मजबूर होंगे।
विशेषज्ञों की सलाह रहती है कि नशे के जाल को तोड़ने के लिए सिर्फ़ गिरफ्तारी पर्याप्त नहीं — पैसों के सोर्स, ट्रांसपोर्ट-लिंक और राजनीतिक-संपर्क की फ़ोरेंसिक जाँच भी जरूरी है। �
ndup media report.