
सहारनपुर के डीआईजी: ईमानदारी, निष्ठा और जनहित के प्रहरी
सहारनपुर।
जनपद सहारनपुर में हाल ही में वक्फ सुधार जन जागरण अभियान की कार्यशाला में जिस प्रकार पूर्व मंत्री सुरेश राणा जी ने गरीबों के हक़ की आवाज़ बुलंद की, उसी मंच पर एक और नाम चर्चा का केंद्र बना — डीआईजी सहारनपुर रेंज, जिनके नेतृत्व में पूरा क्षेत्र, विशेषकर शामली, मुज़फ्फरनगर और सहारनपुर, शांति, सुरक्षा और न्याय के रास्ते पर अग्रसर हो रहा है।
डीआईजी रैंक: एक अद्भुत ज़िम्मेदारी और शक्ति का केंद्र
डीआईजी (Deputy Inspector General of Police) एक उच्च रैंक का IPS अधिकारी होता है, जो तीन से चार जनपदों के पुलिस सिस्टम की कमान संभालता है। कानून-व्यवस्था, अपराध पर नियंत्रण, और संवेदनशील मामलों की निगरानी — यह सब उनके नियंत्रण में आता है। उनके निर्णय से न केवल ज़िलों की दिशा तय होती है बल्कि आम जनता को न्याय और सुरक्षा की गारंटी भी मिलती है।
जनता से सीधा संवाद, ज़मीनी हकीकत पर पैनी नज़र
जो तस्वीर आपने देखी — वो महज़ एक मुलाकात नहीं, बल्कि उस अधिकारी की कार्यशैली का प्रमाण है, जो काग़ज़ों के पीछे नहीं, फील्ड में नज़र आता है। जनता की शिकायतों को खुद सुनना, थाना स्तर की कार्यप्रणाली का मुआयना करना, और अफसरों को ईमानदारी व पारदर्शिता का पाठ पढ़ाना — यही इनकी पहचान है।
ईमानदारी और निष्पक्षता की मिसाल
इस डीआईजी साहब की सबसे बड़ी ताकत है ईमानदारी और निष्पक्षता। न रिश्वत, न सिफारिश — सिर्फ कानून और संविधान की भाषा। यही वजह है कि शामली जैसे जनपद, जहां कई बार संवेदनशीलता चरम पर होती है, वहां भी अब शांति और प्रशासन पर भरोसा लौट रहा है।
सख्ती जहां ज़रूरी, और सहानुभूति जहां ज़रूरी
चाहे अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो या फिर पीड़ित परिवारों को इंसाफ दिलाने का मुद्दा — डीआईजी साहब हर मोर्चे पर सक्रिय और जवाबदेह नज़र आते हैं। उनके नेतृत्व में पुलिसकर्मियों की कार्यशैली में भी एक नई ऊर्जा और अनुशासन देखा जा रहा है।
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निष्कर्ष:
आज जब पुलिस व्यवस्था को लेकर कई सवाल उठते हैं, तब ऐसे अधिकारी उम्मीद की किरण बनकर उभरते हैं। सहारनपुर रेंज के डीआईजी न केवल अपनी रैंक का मान रख रहे हैं, बल्कि आम जनमानस में पुलिस की छवि को एक नया आयाम भी दे रहे हैं।