
इसराइल-ग़ज़ा संघर्ष के बीच यरुशलम में जंगल की आग, तबाही का नया मंजर — क्या अल्लाह का अजब?
यरुशलम/ग़ज़ा — एक तरफ़ ग़ज़ा में इसराइली हमलों की तबाही से फ़िलिस्तीनी मुसलमानों की ज़िंदगी बर्बादी के कगार पर है, वहीं दूसरी ओर इसराइल के यरुशलम हिल्स (Jerusalem Hills) में भीषण जंगल की आग ने तबाही का नया मंजर पेश किया है। इस आग ने हज़ारों एकड़ ज़मीन को निगल लिया है, जिससे सैकड़ों लोगों को अपने घर छोड़कर भागना पड़ा।
ग़ज़ा में मुसलमानों पर कहर, इसराइल में आग का तूफ़ान
पिछले कई हफ़्तों से ग़ज़ा पट्टी पर इसराइल की ओर से की गई बमबारी में सैकड़ों मुसलमानों की जान चली गई, जिनमें औरतें, बच्चे और बुजुर्ग भी शामिल हैं। इस बर्बादी को लेकर दुनिया भर के मुसलमानों के दिलों में ग़म और ग़ुस्सा है। कई इस्लामी विद्वानों और स्कॉलर्स का मानना है कि इसराइल में लगी आग महज़ एक प्राकृतिक आपदा नहीं, बल्कि यह अल्लाह की तरफ़ से ‘अजब’ (अज़ाब यानी सज़ा) है, जो उन पर मुसलमानों पर किए गए ज़ुल्म का नतीजा है।
इसराइली शहरों में हाहाकार
यरुशलम के आसपास की पहाड़ियों में आग के चलते धुएं का घना गुबार छाया हुआ है। पुलिस और दमकल विभाग आग पर काबू पाने की कोशिशों में जुटे हैं, लेकिन आग की रफ़्तार तेज़ है। सैकड़ों परिवार अपने घरों से निकलकर दूसरी जगहों पर शरण लेने को मजबूर हो गए हैं।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चिंता, मुसलमानों की दुआएं
दुनिया के कई देश और मानवीय संगठन इस हालात पर नज़र रखे हुए हैं। वहीं, मुस्लिम देशों में यह चर्चा तेज़ है कि ग़ज़ा के मजलूम मुसलमानों की आह और दुआओं का असर इसराइल की सरज़मीं पर दिख रहा है। कई मुसलमान स्कॉलर्स ने सोशल मीडिया पर लिखा है — “अल्लाह की लाठी बेआवाज़ है, ज़ालिम चाहे कितना भी ताक़तवर हो, उसकी गिरफ़्त से नहीं बच सकता।”
क्या आग, क्या बारूद — दोनों इंसानियत के लिए खतरा
ग़ज़ा की तबाही और यरुशलम की आग दोनों ही घटनाएं न सिर्फ़ इसराइल-फ़िलिस्तीन के हालात को बिगाड़ रही हैं बल्कि पूरी इंसानियत के लिए भी सवाल खड़े कर रही हैं। आने वाले दिन यह तय करेंगे कि क्या इसराइल अपने किए पर रुकेगा, या फिर यह आग और भी फैलकर बड़ा सं
कट खड़ा करेगी।