
हाफ़िज़-ए-कुरान ‘जन्नत शबीर रावा’ बनीं कश्मीर की मिसाल, 12वीं साइंस में किया टॉप — आतंकवाद को नकारकर तालीम की राह चुनी
श्रीनगर/NDUP ब्यूरो।
जम्मू-कश्मीर बोर्ड ऑफ़ स्कूल एजुकेशन (JKBOSE) ने 12वीं कक्षा का रिजल्ट ज़ारी कर दिया है। इस बार कश्मीर की सरज़मीं से एक सुनहरी मिसाल सामने आई है। बांदीपोरा ज़िले की हाफ़िज़-ए-कुरान छात्रा जन्नत शबीर रावा ने साइंस स्ट्रीम में टॉप कर न सिर्फ अपने माँ-बाप का बल्कि पूरे कश्मीर का नाम रोशन किया है।
जन्नत शबीर, जिन्होंने कम उम्र में ही कुरान शरीफ़ को हिफ़्ज़ कर लिया था, आज तालीम के मैदान में भी अपनी काबिलियत का लोहा मनवा चुकी हैं। इस कामयाबी के साथ उन्होंने ये पैग़ाम दिया है कि कश्मीर का मुसलमान आतंकवाद नहीं, इल्म व अमन का हामी है।
कश्मीर की असली तस्वीर – आतंकवाद से इंकार, तालीम से प्यार
पिछले कुछ वर्षों में जम्मू-कश्मीर में आतंकी घटनाओं के चलते देश-दुनिया में एक नकारात्मक छवि बनने की कोशिश की गई। लेकिन हक़ीक़त यह है कि कश्मीर के आम मुसलमान इन घटनाओं का न सिर्फ़ विरोध करते हैं बल्कि अपने बच्चों को तालीम, तहज़ीब और तरक़्क़ी की राह पर चलने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।
जन्नत की इस सफलता के बहाने एक बार फिर कश्मीर के नौजवानों ने ये साबित कर दिया कि वे बंदूक़ नहीं किताबें उठाना चाहते हैं। यह कामयाबी उन साजिशों को भी करारा जवाब है जो कश्मीरी मुसलमानों को आतंकवाद से जोड़कर देखने की ग़लतफ़हमी फैलाते हैं।
NDUP की अपील — मुसलमान आगे आएं, तालीम को अपनाएं
NDUP अपने पाठकों और ख़ासतौर पर मुस्लिम नौजवानों से अपील करता है कि वे जन्नत शबीर जैसी मिसालों से सबक़ लें। कश्मीर ही नहीं, पूरे हिंदुस्तान में मुसलमानों की तरक़्क़ी का रास्ता तालीम से होकर ही गुज़रता है। जब हमारा बच्चा डॉक्टर, इंजीनियर, अफ़सर या आलिम बनेगा — तभी हम समाज में अपना मुक़ाम मज़बूत कर पाएंगे।
जन्नत शबीर रावा ने हमें दिखा दिया है कि अगर इरादा नेक हो तो हालात कितने भी मुश्किल क्यों न हों — मंज़िल मिलकर रहती है। NDUP उन्हें दिल से मुबारकबाद पेश करता है।