
अफसोसनाक ख़बर | मौलाना गुलाम वस्तानवी साहब का इंतकाल
इन्ना लिल्लाही वइन्ना इलैही राजिऊन
दारुल उलूम देवबंद के पूर्व मोहतमिम और देश-विदेश में इस्लामिक तालीम व मॉडर्न एजुकेशन को साथ लेकर चलने वाले मक़बूल आलिमे-दीन हज़रत मौलाना गुलाम वस्तानवी साहब का इंतकाल हो गया है। वह तवील अर्से से बीमार चल रहे थे। उनका इंतकाल आज सुबह इत्मीनान के साथ हुआ। पूरी मिल्लत इस वक़्त ग़मगीन और मायूस है।
अल्लाह तआला हज़रत के दरजात बुलंद फरमाए और उनके घरवालों व मुहिब्बानों को सब्र जमील अता फरमाए। आमीन।
मौलाना गुलाम वस्तानवी साहब का तआरुफ़ व खिदमात
– पैदाइश: 1962, वस्तान, गुजरात
– तालीम: दारुल उलूम देवबंद के नुमाया तलबा में रहे। वहीं से आला इस्लामी तालीम हासिल की।
– खिदमात:
मौलाना साहब ने सिर्फ इस्लामी तालीम पर ज़ोर नहीं दिया, बल्कि उन्होंने हमेशा यह कोशिश की कि मुसलमान बच्चे दुनियावी (मॉडर्न) तालीम में भी पीछे न रहें।
उन्होंने महाराष्ट्र, गुजरात, और दूसरे सुबों में कई इस्लामिक स्कूल, कॉलेज और टेक्निकल इंस्टिट्यूट्स क़ायम किए।
सबसे ज़्यादा पहचान उन्हें उस वक़्त मिली जब वह दारुल उलूम देवबंद के मोहतमिम (Vice Chancellor) बनाए गए।
उन्होंने देवबंद में मॉडर्न एजुकेशन का नज़रिया पेश किया था ताकि दीनी तालीम के साथ दुनियावी तरक़्क़ी भी हासिल की जा सके।
अपने दौर में उन्होंने IT, मेडिकल, इंजीनियरिंग जैसी फील्ड्स में मुसलमान नौजवानों को आगे बढ़ने के लिये मौक़े दिए।
– इंसानी ख़िदमत: मौलाना साहब समाजी और इंसानी बहबूद के कई प्रोजेक्ट्स से जुड़े रहे। उनके ज़रिए हज़ारों लोगों की तालीम व तरबियत हुई।
अंजुमन व मिल्लत में ग़म की लहर
दारुल उलूम देवबंद, जमीयत उलमा-ए-हिंद, और दीगर इस्लामी तंजीमों ने मौलाना साहब के इंतक़ाल पर ग़म का इज़हार किया है। सोशल मीडिया पर भी लाखों लोगों ने ताज़ियत पेश की है।
NDUP की जानिब से हम भी दुआगो हैं कि अल्लाह हज़रत की मग़फ़िरत फरमाए और उनके सिलसिला-ए-ख़िदमात को कुबूल फरमाए। आमीन।