
नई दिल्ली, 6 मई 2025 — सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ संशोधन अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अंतरिम आदेश को बरकरार रखते हुए अगली सुनवाई 15 मई को निर्धारित की है। यह सुनवाई अब नए मुख्य न्यायाधीश जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष होगी।
मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना, जो 13 मई को सेवानिवृत्त हो रहे हैं, ने सोमवार को सुनवाई के दौरान कहा कि वे इस मामले में कोई अंतरिम आदेश सुरक्षित नहीं रखना चाहते, क्योंकि केंद्र सरकार के जवाब में कुछ बिंदुओं पर स्पष्टीकरण की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, “मैं अंतरिम चरण में भी कोई निर्णय या आदेश सुरक्षित नहीं रखना चाहता। यह मामला किसी उचित दिन पर सुना जाना चाहिए, और यह मेरे समक्ष नहीं होगा” ।
सुनवाई के दौरान, केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि संसद द्वारा उचित विचार-विमर्श के बाद पारित कानून पर सरकार का पक्ष सुने बिना रोक नहीं लगाई जानी चाहिए। कोर्ट ने केंद्र सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए 7 दिन की मोहलत दी थी, जो अब पूरी हो चुकी है।
इससे पहले, 17 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ संपत्तियों को डिनोटिफाई करने और सेंट्रल वक्फ काउंसिल समेत बोर्ड्स में नई नियुक्तियों पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने कहा था कि पहले से पंजीकृत या अधिसूचना के माध्यम से घोषित वक्फ संपत्तियों, जिनमें ‘वक्फ बाय यूजर’ भी शामिल है, को अगली सुनवाई की तारीख तक न तो छेड़ा जाएगा और न ही गैर अधिसूचित किया जाएगा ।
अब, 15 मई को जस्टिस गवई की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट की पीठ इन याचिकाओं पर विस्तृत सुनवाई करेगी। इस सुनवाई में वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण, डिनोटिफिकेशन और वक्फ बोर्ड की नियुक्तियों जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार किया जाएगा।
वक्फ संशोधन अधिनियम, 2025 के खिलाफ दायर याचिकाओं में आरोप लगाया गया है कि यह अधिनियम संविधान के अनुच्छेद 14 और 25 का उल्लंघन करता है, जो समानता और धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी देते हैं। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह अधिनियम वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी को बढ़ावा देता है।
सुप्रीम कोर्ट की आगामी सुनवाई में इन मुद्दों पर गहन विचार किया जाएगा, जिससे वक्फ अधिनियम की वैधता और इसके प्रभावों पर स्पष्टता मिलेगी।