
“शहीद तारीक हुसैन: एकता की मिसाल, बलिदान की पहचान”
कटरा, 29 मार्च 2025 (हि.स.) – कठुआ जिले के जखोले गांव में आतंकवादियों के साथ हुई मुठभेड़ में शहीद हुए जम्मू-कश्मीर पुलिस के अधिकारी तारीक अहमद हुसैन को उनके पैतृक गांव चंबा (ब्लॉक पंथल, जिला रियासी) में शनिवार सुबह नम आंखों से अंतिम विदाई दी गई। उनका पार्थिव शरीर उनके खेत में पूरे राजकीय सम्मान के साथ सुपुर्द-ए-खाक किया गया, जहां हजारों लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
शहीद तारीक हुसैन, जो 2011 में पुलिस विभाग में शामिल हुए थे, अपने पीछे पत्नी और चार वर्षीय बेटी को छोड़ गए हैं। उनके चचेरे भाई नईम नाज़, जो सेना में भर्ती की तैयारी कर रहे हैं, ने कहा, “अगर मुझे सेना में भर्ती किया गया, तो मैं अपने भाई की मौत का बदला लेने के लिए 100 पाकिस्तानी आतंकवादियों को मारूंगा।”
शहीद के पिता, क़ादिर हुसैन, ने गर्व के साथ कहा, “हमें गर्व है कि हमारा बेटा रमज़ान के पवित्र महीने में देश के लिए शहीद हुआ।” उनकी चार वर्षीय बेटी अपने पिता की अंतिम यात्रा को मासूमियत से देखती रही, जबकि उनकी मां और बहनें गम में डूबी रहीं।
शहीद के अंतिम संस्कार में सांसद जुगल किशोर शर्मा, पूर्व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष रवींद्र रैना, विधायक बलदेव राज शर्मा, डीआईजी उधमपुर-रियासी रेंज रईस भट्ट, एसएसपी रियासी परमवीर सिंह सहित कई वरिष्ठ अधिकारी और स्थानीय नेता उपस्थित थे। शहीद को जम्मू-कश्मीर पुलिस के जवानों द्वारा गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया।
कठुआ मुठभेड़ में तीन आतंकवादी मारे गए, जबकि तीन पुलिसकर्मी शहीद हुए और सात अन्य घायल हुए। शहीदों में तारीक अहमद हुसैन (रियासी), जसवंत सिंह (लोंडी, हीरानगर), और बलविंदर सिंह (कन्ना चक, कठुआ) शामिल हैं।
शहीद तारीक हुसैन की शहादत ने एक बार फिर साबित कर दिया कि देश की रक्षा में धर्म, जाति या भाषा की कोई सीमा नहीं होती। उनका बलिदान आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत रहेगा।