
ग़ाज़ा भूख से मर रहा है
एसडीपीआई ने इस्राइली नाकाबंदी को तुरंत खत्म करने की माँग की
सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ़ इंडिया (एसडीपीआई) ग़ाज़ा के लोगों पर इस्राइल द्वारा की जा रही लगातार और अमानवीय हिंसा की कड़ी निंदा करती है। 19 जनवरी 2025 को संघर्षविराम टूटने के बाद, 2 मार्च 2025 से लागू की गई लगभग पूरी नाकाबंदी ने ग़ाज़ा के बीस लाख से ज़्यादा लोगों को जानबूझकर भूख से मरने पर मजबूर कर दिया है। अब तक 57 लोगों की भूख से मौत हो चुकी है और करीब 2.9 लाख बच्चे गंभीर कुपोषण के खतरे में हैं। यह अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून का गंभीर उल्लंघन है और इसे युद्ध अपराध माना जा सकता है।
इस्राइली हवाई हमलों और ज़मीनी हमलों ने अस्पतालों, स्कूलों और राहत शिविरों को भी नहीं छोड़ा। 16 से 20 मई 2025 के बीच हर दिन 87 से 146 फ़िलिस्तीनियों की मौत हुई, और ग़ाज़ा सिटी के एक शिविर पर हमले में 22 निर्दोष लोगों की जान गई। इस्राइल द्वारा ग़ाज़ा के 70% हिस्से को “नो-गो ज़ोन” घोषित करना, जबरन लोगों को बेघर करना, और इस्राइली नेताओं के बयानों से जातीय सफ़ाया (ethnic cleansing) की आशंका बढ़ जाती है।
एसडीपीआई फ़िलिस्तीनी जनता के साथ पूरी मजबूती से खड़ी है, जो एक भयानक मानवता संकट का सामना कर रही है। लगातार बमबारी, भुखमरी, और ग़ाज़ा का 90% बुनियादी ढांचा तबाह होने से हालात और भी बदतर हो गए हैं। 13 मई 2025 को खान यूनिस अस्पताल पर हमला और उत्तरी ग़ाज़ा के अस्पतालों का पूरी तरह बंद हो जाना अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत नागरिक ठिकानों की सुरक्षा के सिद्धांतों का उल्लंघन है।
अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) द्वारा इस्राइल के खिलाफ चल रही नस्लीय सफ़ाये (genocide) की जांच और अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय (ICC) द्वारा इस्राइली नेताओं पर गिरफ्तारी वारंट जारी करना यह दर्शाता है कि अब न्याय और जवाबदेही बहुत ज़रूरी है। इस्राइल यह कहकर कि हमास नागरिकों को ढाल की तरह इस्तेमाल करता है, अपने इन अत्याचारों को सही नहीं ठहरा सकता। अब तक 52,928 फ़िलिस्तीनी मारे जा चुके हैं, जिनमें से लगभग 3,000 की मौत 18 मार्च 2025 के बाद हुई है। मरने वालों में आधे से ज़्यादा महिलाएं और बच्चे हैं।
हम मांग करते हैं कि इस्राइल का ग़ाज़ा पर युद्ध तुरंत और स्थायी रूप से रोका जाए, अमानवीय नाकाबंदी को पूरी तरह हटाया जाए, और राहत सामग्री को बिना किसी रोक के पहुँचने दिया जाए ताकि और ज़िंदगियों को बचाया जा सके। अंतरराष्ट्रीय समुदाय, संयुक्त राष्ट्र और प्रभावशाली देशों को मिलकर युद्धविराम लागू कराना चाहिए, इस्राइल को उसके कृत्यों के लिए ज़िम्मेदार ठहराना चाहिए, और फ़िलिस्तीनी जनता को न्याय दिलाना चाहिए।
इन ज़ुल्मों से पूरे क्षेत्र में और अस्थिरता फैलने का खतरा है। एसडीपीआई दुनिया भर की जनता से अपील करती है कि वे फ़िलिस्तीन के साथ एकजुटता दिखाएँ, उनके आत्मनिर्णय के अधिकार को समर्थन दें, और एक ऐसी स्थायी और न्यायपूर्ण शांति के लिए काम करें जो मानवाधिकारों और अंतरराष्ट्रीय कानून पर आधारित हो।
मोहम्मद शफ़ी
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष
सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ़ इंडिया