
गाज़ा में इज़रायली हमले से 64 की मौत, 14,000 बच्चों की जान पर संकट
गाज़ा पर इज़रायल के हालिया हमले में 64 लोगों की मौत हुई है, जिसमें बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे शामिल हैं। इज़रायली सेना ने पूरे गाज़ा को युद्ध क्षेत्र घोषित कर दिया है और इसे पूरी तरह कब्जे में लेने की योजना पर काम कर रही है।
संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि गाज़ा में 14,000 नवजात शिशुओं की जान खतरे में है, क्योंकि 11 सप्ताह से जारी नाकाबंदी के कारण भोजन और दवाओं की भारी कमी हो गई है। हालांकि इज़रायल ने कुछ मानवीय सहायता ट्रकों को गाज़ा में प्रवेश की अनुमति दी है, लेकिन यह सहायता आवश्यक जरूरतों की तुलना में बहुत कम है।
गाज़ा के निवासी, जैसे कि चार बच्चों के पिता महमूद अल-हव, भोजन की तलाश में घंटों लाइन में खड़े रहते हैं, लेकिन अक्सर खाली हाथ लौटते हैं। उनका परिवार एक प्लेट दाल के सूप को छह लोगों में बांटकर खा रहा है।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने गाज़ा में मानवीय संकट पर गहरी चिंता व्यक्त की है। यूरोपीय संघ ने इज़रायल के साथ अपने व्यापार समझौते की समीक्षा शुरू कर दी है, जबकि ब्रिटेन, फ्रांस और कनाडा ने इज़रायल की सैन्य कार्रवाई की आलोचना करते हुए मानवीय सहायता की पहुंच बहाल करने की मांग की है।
संयुक्त राष्ट्र राहत एजेंसी के प्रमुख फिलिप लाजारिनी ने कहा है कि यदि राजनीतिक इच्छाशक्ति हो, तो युद्ध को रोका जा सकता है और गाज़ा की नाकाबंदी समाप्त की जा सकती है।
गाज़ा में बच्चों की भूख और कुपोषण की स्थिति बेहद गंभीर है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, गाज़ा के 40% से अधिक निवासी 14 वर्ष या उससे कम आयु के हैं, और उनमें से कई गंभीर कुपोषण और बीमारियों से पीड़ित हैं।
इज़रायल की सरकार का कहना है कि नाकाबंदी का उद्देश्य हमास पर दबाव बनाना और सहायता के दुरुपयोग को रोकना है। हालांकि, संयुक्त राष्ट्र और अन्य मानवीय संगठनों का कहना है कि इस नाकाबंदी के कारण आम नागरिकों को भारी कष्ट झेलना पड़ रहा है, और यह अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का उल्लंघन है।
गाज़ा में मानवीय संकट दिन-ब-दिन गहराता जा रहा है, और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से तत्काल और निर्णायक कार्रवाई की आवश्यकता है ताकि निर्दोष नागरिकों, विशेषकर बच्चों, की जान बचाई जा सके।