
नागपुर: स्कूल में मुस्लिम छात्रा को प्रवेश न देने पर एफआईआर दर्ज, शिक्षा में धार्मिक भेदभाव पर उठे सवाल
नागपुर के दयानंद आर्य गर्ल्स स्कूल में एक मुस्लिम छात्रा को धर्म के आधार पर कक्षा 6 में प्रवेश न देने का मामला सामने आया है। इस पर जरीपटका पुलिस स्टेशन में स्कूल के सचिव राजेश लालवानी और प्रवेश प्रभारी सिमरन ज्ञानचंदानी के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 299 के तहत धार्मिक भावनाएं आहत करने का मामला दर्ज किया गया है।
शिकायतकर्ता, स्कूल की प्रधानाध्यापिका गीता हरवानी ने आरोप लगाया कि छात्रा को केवल उसके धर्म के कारण प्रवेश से वंचित किया गया। इस मामले में एक ऑडियो रिकॉर्डिंग भी साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत की गई है, जिसे फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा गया है।
जरीपटका पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ निरीक्षक अरुण क्षीरसागर ने बताया कि संबंधित स्कूल एक सरकारी सहायता प्राप्त संस्था है, और ऐसे में धार्मिक भेदभाव अस्वीकार्य है। उन्होंने कहा, “हम आरोपी को नोटिस जारी करेंगे।”
अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष प्यारे खान ने भी इस मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच शुरू की है। उन्होंने कहा, “हमने स्कूल में अधिकारियों को भेजकर सत्यापन किया, जिसके बाद मामला दर्ज किया गया।”
जिला बाल संरक्षण अधिकारी मुश्ताक पठान और बाल कल्याण समिति के सदस्य पी. गायकवाड़ ने भी स्कूल का दौरा किया और छात्रा के माता-पिता से मुलाकात की।
यह घटना भारत में शिक्षा के क्षेत्र में धार्मिक भेदभाव की बढ़ती घटनाओं की ओर संकेत करती है। शिक्षा का अधिकार सभी नागरिकों का मौलिक अधिकार है, और किसी भी बच्चे को उसके धर्म के आधार पर इससे वंचित करना संविधान के मूल्यों के खिलाफ है।
इस मामले ने समाज में गहरी चिंता पैदा की है और यह आवश्यक है कि ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई की जाए ताकि शिक्षा के क्षेत्र में समानता और निष्पक्षता सुनिश्चित की जा सके।
यह समय है जब हम सभी को मिलकर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारे देश में हर बच्चा, चाहे वह किसी भी धर्म, जाति या पृष्ठभूमि से हो, उसे समान शिक्षा का अधिकार मिले और वह बिना किसी भेदभाव के अपने सपनों को साकार कर सके।