
⚡हर बार जांच, मगर कार्रवाई ज़ीरो — क्या शामली बिजली विभाग सिर्फ दिखावे में व्यस्त है?
ग्राम गोगवान, जिला शामली (NDUP रिपोर्ट):
उत्तर प्रदेश में माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के स्पष्ट निर्देश हैं — “भ्रष्टाचार और जनशिकायतों को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा”, लेकिन शामली बिजली विभाग की कार्यशैली शायद इन गाइडलाइनों का खुला उल्लंघन कर रही है।
📌 सोशल मीडिया पर जवाब, ज़मीनी हकीकत में सन्नाटा!
NDUP द्वारा की गई सार्वजनिक शिकायत और खुलासा ट्वीट के जवाब में पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (PVVNL) और PVVNL शामली ने क्रमशः ट्वीट कर कहा:
“उक्त शिकायत जांच हेतु संबंधित अधिकारी को प्रेषित कर दी गई है।”
“कृपया उपरोक्त प्रकरण को संज्ञान में लेते हुए आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित करें।”
परंतु सवाल यह उठता है —
क्या यही प्रक्रिया हर बार सिर्फ “जवाब देने” तक ही सीमित रहती है?
क्या कंप्यूटर स्क्रीन के पीछे बैठे अफसर महज़ ‘क्लर्की ट्वीट’ कर शासन को भ्रम में रख रहे हैं?
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🚨 दिखावे की प्रक्रिया या प्रशासनिक निष्क्रियता?
पिछली बार भी इसी प्रकार का जवाब मिला था, लेकिन न कार्रवाई हुई, न कोई अधिकारी गांव में पहुंचा!
इसके बावजूद अब फिर वही “कॉपी-पेस्ट” जवाब जनता को थमा दिया गया — सवाल यही है:
> ❗ क्या PVVNL के सोशल मीडिया हैंडल सिर्फ ‘समझाने और शांत करने’ के लिए हैं, या असल में कार्रवाई करवाने के लिए?
❗ क्या कंप्यूटर सिस्टम के जवाब देने वाले कर्मचारियों की ज़िम्मेदारी नहीं बनती कि वे रिपोर्ट को उच्च अधिकारियों तक ईमानदारी से पहुँचाएं?
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📉 कार्रवाई न होना किसका दोष?
अगर अधिकारी कार्रवाई नहीं कर रहे, तो
👉 ये मुख्यमंत्री के आदेशों की अवहेलना है।
अगर सोशल मीडिया हैंडल से रिपोर्ट ऊपर नहीं जा रही, तो
👉 ये जानबूझकर जनता को धोखा देना है।
ऐसी स्थिति में कंप्यूटर डेस्क पर बैठे अफसरों पर भी कार्यवाही होनी चाहिए, क्योंकि ये लोग ही मुख्य सूचना की डोर संभालते हैं।
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NDUP की मांग
1. शामली बिजली विभाग में आई हर शिकायत की पब्लिक रिपोर्टिंग की जाए।
2. सोशल मीडिया जवाब देने वाले अफसरों की मॉनिटरिंग हो — क्या वे सही से मामले आगे बढ़ा रहे हैं या नहीं।
3. योगी सरकार को चाहिए कि एक स्वतंत्र टीम भेजकर NDUP की रिपोर्ट की सच्चाई और उस पर हुए ‘फर्जी दिखावे’ की जांच कराएं
उत्तर प्रदेश में प्रशासनिक पारदर्शिता की बात होती है, लेकिन अगर जवाब सिर्फ ट्वीट तक सिमट जाए, तो जनता का भरोसा डगमगा जाता है। NDUP इस बात को लेकर अपनी आवाज़ उठाता रहेगा — क्योंकि लोकतंत्र में सवाल पूछना अपराध नहीं, अधिकार है