
मेरठ में पत्रकार पर हमला — FIR का खेल उल्टा, योगी सरकार की पुलिस पर उठे गंभीर सवाल
मेरठ के किठौर थाना क्षेत्र के राधना इनायतपुर गांव में पत्रकार अब्दुल आहद पर दबंगों द्वारा जानलेवा हमला, मगर अफ़सोस की बात ये है कि शिकायत करने वाले पत्रकार पर ही उल्टा मुकदमा दर्ज कर दिया गया। सवाल ये है — क्या उत्तर प्रदेश में अब पत्रकारिता करना गुनाह है? क्या चौथे स्तंभ की आवाज़ को दबाने का नया तरीका पुलिस के क्रॉस FIR का खेल बन चुका है?
18 अप्रैल को राधना इनायतपुर गांव में कुछ दबंग युवक सरेआम गाड़ियों से स्टंटबाज़ी कर रहे थे। पत्रकार अब्दुल आहद, जो क्षेत्र में सक्रिय और ज़िम्मेदार पत्रकार के तौर पर जाने जाते हैं, ने इस पर आपत्ति जताई और कानून व्यवस्था की चिंता करते हुए वीडियो रिकॉर्डिंग शुरू कर दी। इसी बात पर दबंगों ने पत्रकार पर हमला बोल दिया, जान से मारने की कोशिश की और गंभीर चोटें भी दीं।
शिकायत लेकर जब पत्रकार थाने पहुँचे तो उम्मीद थी कि न्याय मिलेगा। मगर लोकतंत्र के इस दौर में पत्रकारिता की कलम को ही पुलिस ने तोड़ने का काम किया। पत्रकार और उसके परिजनों पर ही उल्टा मुकदमा दर्ज कर लिया गया। अब सवाल यह है कि —
क्या पत्रकारिता करने की कीमत अब मुकदमे झेलकर चुकानी पड़ेगी?
क्या किठौर पुलिस को दबंगों का साथ देना ही अब कानून बन गया है?
– पत्रकार अब्दुल आहद पर हमले की घटना 18 अप्रैल को हुई
– आरोपियों के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज करने के बजाय पत्रकार पर ही क्रॉस FIR दर्ज
– क्या चौथा स्तंभ अब पुलिसिया राजनीति का शिकार बनेगा?
योगी आदित्यनाथ जी की सरकार में अपराधियों पर बुलडोजर चलाने की तस्वीरें देश ने देखीं। मगर मेरठ के किठौर थाना की ये तस्वीर शर्मनाक है।
अगर कलम पर बुलडोजर चला, तो लोकतंत्र की नींव हिलेगी।
हम NDUP की तरफ से मांग करते हैं कि —
1. पत्रकार अब्दुल आहद पर दर्ज झूठी FIR तत्काल वापस ली जाए।
2. हमलावर दबंगों पर सख़्त कार्यवाही हो।
3. पत्रकारों की सुरक्षा के लिए जिला स्तर पर विशेष सेल बनाई जाए।
क्योंकि —
“पत्रकार को डराना लोकतंत्र को डराना है। और लोकतंत्र कभी डरता नहीं।”