“झिंझाना क़ब्रिस्तान की तौहीन पर बवाल – मुसलमानों की गैरत जागी, NDUP ने उठाई आवाज़, DM–SP से इंसाफ़ की उम्मीद”
📰 झिंझाना क़स्बे से NDUP की बड़ी ख़बर
झिंझाना क़स्बे का माहौल इन दिनों गर्म है। यहाँ बार-बार लगने वाले मेलों ने लोगों की धार्मिक भावनाओं को गहरी चोट पहुँचाई है। अफ़सोस की बात ये है कि ये मेला उस जगह पर लगाया जा रहा है, जहाँ हमारे बड़े-बड़े मौलाना, आलिम-ए-दीन, हाफ़िज़ और सूफ़ी हज़रात की क़ब्रें मौजूद हैं।
क़ब्रिस्तान जहाँ अल्लाह का ज़िक्र होना चाहिए, वहाँ आज नंगा नाच, खुलेआम गाने-बजाने, नशे और फ़हाश हरकतों का गंदा खेल खेला जा रहा है। ये न सिर्फ़ इस्लाम के ख़िलाफ़ है, बल्कि इंसानियत की भी तौहीन है।
⚖️ SP और DM साहब से उम्मीदें
ज़िला शामली के माननीय DM साहब और SP साहब हमेशा जनता की भावनाओं का ख्याल रखते आए हैं और क़ानून-व्यवस्था में उनकी मेहनत क़ाबिले-तारीफ़ रही है।
NDUP को यक़ीन है कि इस बार भी वो लोगों की आवाज़ सुनेंगे और ज़िला प्रशासन की सख़्ती से ये फ़ितना रुक जाएगा।




सबसे बड़ा सवाल — परमिशन किसने दी?
अब ज़िला भर में ये सवाल उठ रहा है कि आख़िर इस मेले की परमिशन हुई भी है या नहीं?
👉 अगर परमिशन नहीं हुई है तो ये सीधा-सीधा ग़ैर-क़ानूनी काम है।
👉 और अगर परमिशन हुई है, तो आख़िर उस जगह ही क्यों दी गई जहाँ मुसलमानों की धार्मिक भावनाएँ आहत हो रही हैं?
क्या प्रशासन ने इस संवेदनशील पहलू पर ग़ौर नहीं किया?
यहाँ सवाल सिर्फ़ मुसलमानों का नहीं, बल्कि इंसानियत का है — क्योंकि किसी भी मज़हब की पवित्र जगह के पास ऐसे तमाशे होना पूरे समाज के लिए शर्मनाक है।
मौलाना और जमीयत की ख़ामोशी
आज लोग ये भी पूछ रहे हैं कि मौलाना हज़रात मस्जिदों से इस पर अभियान क्यों नहीं चलाते?
क्या वजह है कि जमीयत उलेमा-ए-हिंद, जो मुसलमानों से चंदा इकट्ठा करती है, मुसलमानों की पार्टी मनाती है — वो इस मसले पर खामोश क्यों है?
क्या उनकी ये चुप्पी मुसलमानों की गैरत और इमान के साथ मज़ाक़ नहीं है?
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⚡ NDUP की मांग
NDUP साफ़ तौर पर कहता है कि:
1. कब्रिस्तान के पास लगे मेलों पर तुरंत पाबंदी लगाई जाए।
2. नशे और फ़हाश हरकतों में शामिल लोगों पर सख़्त कार्रवाई हो।
3. दंगल और अवैध खेलों को प्रशासन तुरंत रोके।
4. वक़्फ़ बोर्ड और जमीयत-ए-उलेमा-ए-हिंद अपनी ज़िम्मेदारी निभाएँ और इस गुनाह को रोकने के लिए खुलकर सामने आएँ।
5. और सबसे अहम — प्रशासन साफ़ करे कि परमिशन दी गई थी या नहीं, और अगर दी गई थी तो किस आधार पर।
अगर आज मुसलमान खामोश रहे तो कल हालात इतने बिगड़ जाएंगे कि हमारे बच्चों की क़ब्रों के ऊपर भी यही तमाशा होगा.
🖋️ NDUP रिपोर्ट | झिंझाना |